Poetry on Soldiers | Patriotic Poetry | मैं जवान हूं - Hindi Poetry
मंजिलें रोती हुई हमको पुकारा करती हैं,
आँखों की भीगी पलकें हमको सहारा देती हैं,
आसमां में बादलों के संग धुआँ भी होता है,
चाँद से तारों का कोई दिलकश नजारा होता है,
मैं रो रहा था बैठ के, उस आसमां के नीचे ही,
कि फिर चली गुहार, दुश्मन आ गया करीब ही,
मैंने उठायी शमशीरें, उसको किनारा दिखाया,
कि एक कातिल ने मुझे जख्मों का मोहताज बनाया,
मैंने न माना हार, लड़ गया मैं हालात से,
न किया माफ, मैंने उसको गिराया भूमि पे,
माँ ने मेरी था सिखाया, छोड़ना न दुश्मन को,
कट जाना भले ही, पर भुलना न फर्ज को,
मेरी आँखों के आँसुओं की परवाह तुम न करना,
पर मातृभूमि की लाज को सदा अमर तुम रखना,
माँ को याद करके मैंने खुद में हिम्मत बढ़ाई,
उठ गया और खेदने लगा उन्हें जो कर रहे थे चढ़ाई,
लड़ गया मैं कायरों से, जो पीठ पे छुरा है भोंकते,
रह गया मैं माँ तेरी आँखों की नमी को पोछते,
मैं जवान हुँ, जवान की तरह ही मैं लड़ गया,
मैं उन कायरों को खेद के, माँ के आँचल में सो गया ।
ऐसे वीर जवानों को मेरा शत् शत् नमन ।
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