देश प्रेम में लीन हो जाना, बिना किसी लालच के देश पर जान कुर्बान कर जाना, उनके बलिदान का ऋणी है देश का हर नागरिक, हर एक वीर जवान खास है, हर एक वीर अमर है। ये कविता उन्हीं देश के वीरों के नाम है जो निडर है, साहसी है, अचल है, शूरवीर है। हमारी देश की असली शान हैं, हमारी देश का मान हैं। यह कविता उन वीर जवानों के लिए जो अपनी जान की परवाह न करते हुए, हमारी और हमारे देश की सदा रक्षा करते हैं। Hindi Poetry "मैं जवान हूं" मंजिलें रोती हुई हमको पुकारा करती हैं, आँखों की भीगी पलकें हमको सहारा देती हैं, आसमां में बादलों के संग धुआँ भी होता है, चाँद से तारों का कोई दिलकश नजारा होता है, मैं रो रहा था बैठ के, उस आसमां के नीचे ही, कि फिर चली गुहार, दुश्मन आ गया करीब ही, मैंने उठायी शमशीरें, उसको किनारा दिखाया, कि एक कातिल ने मुझे जख्मों का मोहताज बनाया, मैंने न माना हार, लड़ गया मैं हालात से, न किया माफ, मैंने उसको गिराया भूमि पे, माँ ने मेरी था सिखाया, छोड़ना न दुश्मन को, कट जाना भले ही, पर भुलना न फर्ज को, मेरी आँखों के आँसुओं की परवाह तुम न करना, पर मातृभूमि की लाज