Hindi Poetry | Motivational Poetry | तिनका तिनका
चलते रहना और खुद को संभाले रहना आसान नहीं है और कभी कभी तो बहुत मुश्किल होता है, मगर चलते रहना, आगे बढ़ते रहना, हालात चाहें जैसे हों खुद को समेटे रहने, टुकड़ों को जोड़े रहना, सपने बुनते रहना और साहस के साथ खुद पर यकीन करना बहुत जरूरी है। दुनिया में सब कुछ आसान है अगर इंसान को खुद पर यकीन है।
हर रोज एक नई सुबह होती है और उसी के साथ नए हिस्से, नए किस्से बनते हैं। रोज़ इन हिस्सों को जोड़ते जाना और थोड़ा थोड़ा खुद को रोज बुनते जाने का नाम ही जिंदगी है। बढ़ते जाने का नाम जिंदगी है क्योंकि जब हम अंत में पहुंचेंगे तो यही तिनके जुड़ चुके होंगे और एक खूबसूरत जिंदगी बना चुके होंगे।
"तिनका तिनका" एक ऐसी ही छोटी सी कविता है जो इसी बात पर आधारित है की हमें खुद को रोज़ थोड़ा थोड़ा बनाना है, हमेशा चलते जाना है, क्योंकि धीरे धीरे जैसे जैसे ये तिनके जुड़ते जायेंगे एक खूबसूरत तस्वीर की झलक नज़र आने लगेगी।
Hindi Poetry - "तिनका तिनका"
तिनका तिनका करके अपने आप को रोज़ बनाना,
तिनका तिनका करके धागों को रोज़ सजाना,
तिनका हर तिनका एहसास होता जायेगा,
तुम तुमसे मिलते जाओगे और,
हर लम्हा करीब होता जायेगा,
जिस दिन तिनके से एक आकृति बनेगी तुम्हारी,
उसमें कई खयाल, कई जवाब मिल जाएंगे,
जो सवालों का पहाड़ लेकर चल रहे हो,
एक दिन तुम्हारे अंदर ही सिमट जायेंगे,
तिनका तिनका करके जब अपने आपको रोज़ बुनोगे,
उन तिनकों से निर्मित खुदको हासिल करोगे,
तिनका तिनका करके रोज़ खुद को बनाना,
माटी के पुतले को हर रंग से सजाना।
उम्मीद है आपको मेरी ये कविता अच्छी लगी होगी।
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