Hindi Poetry for poet | Hindi Poems | हिंदी कविता
मुझे लिखना बहुत पसंद है, और हर एक लेखक(writer) की तरह मुझे भी लिखने में बहुत सुकून मिलता है।
एक लेखक जो होता है उसके लिए लिखना बहुत खूबसूरत, बहुत हसीन काम होता है। वो बिना थके, बिना रुके, बिना किसी फ़िक्र के जब तक चाहे तब तक लिखता रहता है। क्योंकि ये लिखना एक लेखक के दिल से जुड़ा होता है इसलिए उसकी लेखनी(pen) पर उसका नहीं उसके दिल का राज़ होता है। जब उसका दिल बोलता है तो उसके हाथ अपने आप लिखने लगते हैं, उसको कुछ खास सोचने समझने की जरूरत नहीं रहती, ऐसा लगता है मानो शब्दों की नदियां उसके दिमाग में अपने आप बहने लगती हैं और तब तक बहती जाती है जब तक वह उस खंड को या उस रचना को या तो खत्म नहीं कर देता या किसी एक मोड़ पर नहीं पहुंचता।
ऐसी ही कुछ हालत मेरी भी होती है जब मैं अपनी लेखनी उठाती ही और लिखना शुरू करती हूं, मुझे बहुत ज्यादा ताकत लगाने की कोई जरूरत नहीं पड़ती। मानो जैसे ये एक जादुई सा एहसास हो या एक जादुई सा काम हो। और मेरा मानना है ऐसा सिर्फ मेरे साथ नहीं बल्कि हर एक लेखक के साथ होता है।
तो ये कविता मैं उन्हीं खास लेखकों के नाम करती हूं जिनके लिए लिखना सिर्फ एक काम नहीं उनकी जरूरत है, उनका प्यार है।
अगर आप हिंदी कविताएं पढ़ना पसंद करते हैं और लिखते भी हैं तो मेरी ये कविता आपको जरूर अच्छी लगेगी।
Hindi Poetry | हिंदी कविता
"मैं तो बस काग़ज़ भर देती हूं"
शब्दों का दरिया इतना गहरा हो जाता है,
अक्सर जो अल्फ़ाज़ मुंह से नहीं निकलते,
वो पन्नों पर बिखर कर कितनी कहानियां बयां कर जाते हैं,
की सुनाऊं क्या मेरी लेखनी की दास्तां,
बस दिल अचानक बोलता है,
हाथ अपने आप कुछ पन्ने उठा लेते हैं,
बस पन्ने पर कलम रख देती हूं,
अल्फ़ाज़ अपने आप आ जाते हैं,
मैं तो बस काग़ज़ भर देती हूं,
जज्बात अपने आप आ जाते हैं।
उम्मीद करती हूं आपको यह कविता पसंद आई होगी ।
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